गली गली में शोर है,
समलैंगिकता का जोर है!
दिल्ली हाई कोर्ट के दब दबे में,
गे कम्युनिटी का ज़ोर है!
खुले विचारों की भोर है,
सब को अपनाने की होड़ है!
सास बहु के झंझट छुटे
सतीप्रथा की तोड़ है!
गे मैरिज़ का नया दौर है,
पंडितों का जीवन कठोर है!
बने बाराती या बहाए डोली के आंसू,
माँ बाप की चिंता ही कुछ ओर है!
अजी गली गली में शोर है,
समलैंगिकता का ज़ोर है!
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Timely question raise in poetic form.Keep writing and you will be rythmical soon.
ReplyDeleteDr.Bhoopendra
ha ha ha ha
ReplyDeletebahut khoob !
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeletegood irony.
ReplyDeletesahi farmaya aapne.narayan narayan
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